उत्तर प्रदेश में भूमि धारण करने की विहित सीमा
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 89 की उप धारा (2)के अधीन 5.0586 हेक्टेयर से अधिक भूमि का संक्रमण प्रतिबंधित है .उक्त धारा के अनुसार राज्य सरकार की परमिशन के बिना उत्तर प्रदेश में विहित सीमा से अधिक भूमि अर्थात 5.0586 हेक्टेयर से अधिक भूमि का संक्रमण धारा 104 के अधीन निष्प्रभावी होकर संक्रमण की विषय वस्तु धारा 105 के अधीन राज्य सरकार में निहित हो जाती है .संहिता की धारा 89 की उप धारा( 3 )के अधीन जनहित में विकास एवं अन्य योजनाओं /परियोजनाओं के लिए विहित सीमा से अधिक भूमि के संक्रमण हेतु राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत किया जा सकता है .
राजस्व अनुभाग-1 द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या 746 /एक -1-2016- 20(5)/ 2016 दिनांक 3 जून 2016 में राजस्व संहिता की धारा 89 की उप धारा (3) तथा उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली 2016 के नियम 94 के आलोक में निम्नलिखित प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है:
1. संबंधित व्यक्ति /समिति/ संस्था /उद्योग /कंपनी द्वारा 5.0586 से अधिक भूमि क्रय करने के लिए शासन के संबंधित प्रशासकीय विभाग को आवेदन पत्र निर्धारित प्रारूप संख्या -1 (क) पर देना होगा. आवेदन पत्र प्राप्त होने पर संबंधित प्रशासकीय विभाग द्वारा सम्यक जांच उपरांत अपेक्षित सूचना संकलित करके संबंधित जिलाधकारी को अधिकतम 30 दिनों में संदर्भित करेंगे. संबंधित जिलाधिकारी द्वारा जांच उपरांत प्रपत्र संख्या- 1 (ख)में सूचना तैयार कर अपनी स्पष्ट संस्तुति के साथ प्रस्ताव शासन के संबंधित प्रशासकीय विभाग को अधिकतम 30 दिनों में अग्रसारित करेंगे.
2. संबंधित जिलाधिकारियों से भूमि के संक्रमण से संबंधित औपचारिक प्रस्ताव प्राप्त होने पर शासन के प्रशासकीय विभागों द्वारा विचारोंपरांत निर्णय लिया जाएगा और विलंबता 60 दिनों में अपनी संस्तुति के साथ प्रस्ताव शासन के राजस्व अनुभाग 1 को विचारार्थ संदर्भित किया जाएगा .शासन के संबंधित प्रशासकीय विभागों से प्रस्ताव प्राप्त होने पर राजस्व अनुभाग 1 द्वारा विचारोंपरांत औचित्य पाए जाने की दशा में 5.0586 हेक्टेयर से अधिक भूमि के संक्रमण की धारा 89की उपधारा 3 के अधीन प्राधिकृत किए जाने से संबंधित आदेश अधिकतम 30 दिनों के अंदर जारी करेंगे.
यदि किसी स्तर पर प्रशासकीय विभाग/ राजस्व विभाग द्वारा प्रस्ताव में पाई गई किसी त्रुटि को दूर करने हेतु अथवा किसी जिज्ञासा के समाधान हेतु संदर्भ प्रति प्रेषित किया जाता है तो इस निमित्त व्यतीत हुई अवधि को ऊपर वर्णित काल सीमा में परिगणित नहीं किया जाएगा.
3. प्रशासकीय विभाग द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जिस परियोजना के लिए भूमि दी जा रही है उसका उपयोग उसी परियोजना के लिए किया जाए. विहित सीमा से अधिक भूमि के संक्रमण की अनुमति के क्रम में संस्था द्वारा 5 वर्ष की अवधि में भूमि को क्रय कर लिया जाना आवश्यक होगा. यदि संस्था किन्ही कारणों से भूमि क्रय नहीं कर पाती है तो ऐसी दशा में राज्य सरकार पुनः भूमि के संक्रमण की अवधि एक -एक वर्ष के लिए अर्थात 2 वर्ष के लिए बढ़ाने पर विचार कर सकती है परंतु समय की अवधि 7 वर्ष से अधिक नहीं होगी.
उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 154( 2) के अधीन विहित सीमा 12.5 एकड़ से अधिक दी गई भूमि के संक्रमण की अनुमति 7 वर्ष व्यतीत होने के उपरांत समाप्त समझी जाएगी. यदि संस्था को विहित सीमा से अधिक भूमि के संक्रमण की अपरिहार्यता हो, तो उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के अधीन नए सिरे से अनुमति प्राप्त किया जाना होगा.
उपरोक्तानुसार निर्धारित प्रक्रिया के विपरीत राज्य सरकार की अनुज्ञा के बिना 5.0586 हेक्टेयर से अधिक भूमि के संक्रमण को अवैध मानते हुए इसे राज्य सरकार में निहित समझा जाएगा और अंतरिती के पक्ष में नामांतरण तथा विनियमितीकरण नहीं किया जाएगा.
4. केवल उद्योग की स्थापना के लिए लोकहित में 5.0586 हेक्टेयर से अधिक भूमि के संक्रमण की अनुमति मंडलायुक्त द्वारा दी जाएगी जो 5 वर्षों के लिए अनुमन्य होगी .यदि संस्था किन्ही कारणों से भूमि 5 वर्ष के लिए क्रय नहीं कर पाती है तो ऐसी दशा में राज्य सरकार द्वारा भूमि के संक्रमण की अवधि एक-एक वर्ष के लिए अर्थात 2 वर्ष के लिए बढ़ाने पर विचार कर सकती है. किंतु समेकित अवधि 7 वर्ष से अधिक नहीं होगी .औद्योगिकीकरण से भिन्न प्रयोजन हेतु संक्रमण की अनुमति मंडलायुक्त द्वारा नहीं दी जाएगी.
5.हाईटेक टाउनशिप तथा इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के प्रयोजन के लिए लोकहित में 5.0586 हेक्टेयर से अधिक भूमि के संक्रमण की अनुमति प्रदान करने की शक्ति मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति में निहित की गई है.
धारा 89 की उप धारा 3 के अधीन छूट प्राप्त करने हेतु विकासकर्ता/ कंपनी कंसोर्सियम द्वारा संबंधित शासकीय अभिकरण के साथ मेमोरेंडम ऑफ अडरस्टैंडिंग निष्पादन के उपरांत निर्धारित प्रारूप संख्या-2(क) पर सूचना विकास प्राधिकरण के माध्यम से जिला अधिकारी को प्रस्तुत की जाएगी .उपरोक्त कार्यवाही विकासकर्ता कंपनी से विकास प्राधिकरण में प्रस्ताव प्राप्त होने की तिथि से अधिकतम 60 दिन में पूर्ण कर ली जाएगी. जिलाधिकारी द्वारा उक्त सूचना को प्रारूप संख्या-2(ख) मे अंकित करते हुए अपनी स्पष्ट संस्तुति सहित प्रस्ताव आवास एवं शहरी नियोजन विभाग उत्तर प्रदेश शासन को 3 प्रतियों में उपलब्ध कराएंगे.
आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा उपरोक्तानुसार सूचनाएं प्राप्त होने पर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी तथा बैठक से पूर्व उक्त सूचनाओं की एक प्रति राजस्व विभाग को अवश्य उपलब्ध कराई जाएगी .
उच्च स्तरीय समिति के निर्णय के अनुरूप उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 89 की उप धारा 3 के अधीन अनुमति पत्र राजस्व विभाग द्वारा निर्गत किया जाएगा जो 5 वर्ष के लिए अनुमान होगा. यदि विकासकर्ता किन्ही कारणों से भूमि क्रय नहीं कर पाता है तो ऐसी दशा में राज्य सरकार पुनः भूमि के संक्रमण की अवधि एक-एक वर्ष के लिए अर्थात 2 वर्ष के लिए बढ़ाने पर विचार कर सकती है परंतु समय की अवधि 7 वर्ष से अधिक की नहीं होगी.
आवास एवं शहरी नियोजन विभाग यह भी सुनिश्चित करेगा कि किसी परियोजना हेतु उतनी ही भूमि क्रय करने की अनुमति प्रदान करने की संस्तुति की जाए जितनी कि परियोजना के न्यूनतम मानक अनुसार आवश्यक हो .आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जिस परियोजना के लिए भूमि दी जा रही है उसका प्रयोग उसी प्रयोजना के लिए किया जाए. स्वीकृत परियोजना से भिन्न प्रयोजन हेतु उसका उपयोग ना किया जाए.
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के परिवार जिन की भूमि पर योजना हेतु क्रय/ अधिग्रहित की जा रही है उन्हें उसी परियोजना में विकासकर्ता कंपनी द्वारा निर्मित/ विकसित ईडब्ल्यूएस /एलआईजी भवनों /भूखंडों के आवंटन में शासन द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार आरक्षण दिया जाएगा.
विधायी संशोधन
A) विधायी अनुभाग- 1 की अधिसूचना दिनांक 28-12 -2020 तथा 5 मार्च 2021 द्वारा धारा 89 की उपधारा(3) में निम्नलिखित संशोधन किए गए:
किसी रजिस्ट्रीकृत फार्म /कंपनी /पार्टनरशिप फर्म /लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फॉर्म/ न्यास/ समिति अथवा किसी अन्य शैक्षिक या पूर्त संस्था द्वारा अनुमोदन प्राप्त किए बिना भूमि अर्जित अथवा क्रय की गई हो, तो राज्य सरकार अथवा इस अधिनियम के अधीन इस प्रयोजन हेतु प्राधिकृत कोई अधिकारी जुर्माना स्वरूप ऐसी धनराशि जो आवेदन करते समय प्रचलित सर्किल रेट के अनुसार विहित सीमा से अधिक भूमि की लागत की 10% होगी का भुगतान करने के पश्चात ऐसे अर्जन अथवा क्रय को विनियमित करने के लिए अपना अनुमोदन प्रदान कर सकते हैं.
परंतु यह और की जहां राज्य सरकार का यह समाधान हो जाए की कोई अंतरण लोकहित में विभिन्न विनिधान प्रोत्साहन नीतियों के अधीन अथवा राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहित की जारी परियोजनाओं, निजी विश्वविद्यालयों तथा मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए किया गया है वहां वह ऐसे किसी अंतरिति को इस उपधारा के अधीन जुर्माना के संदाय से छूट प्रदान कर सकती है.
B) राजस्व अनुभव -1 द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या 11/ 2021 /928एक-1- 2021- रा-1 दिनांक 26 अक्टूबर 2021 में उपरोक्त विधायी संशोधन को समाहित करते हुए, बिना पूर्व अनुमति के 5.0586 हेक्टेयर से अधिक क्रय की गई भूमि के विनियमितीकरण/ कार्योत्तर स्वीकृति हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया का निर्धारण किया गया-
1. संबंधित व्यक्ति/ समिति /संस्था /उद्योग /कंपनी द्वारा 5.0586 हेक्टेयर से अधिक क्रय की गई भूमि के विनियमितीकरण हेतु शासन में राजस्व विभाग को आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जाएगा.
2. आवेदन पत्र प्राप्त होने पर संबंधित जिलाधिकारियों से भूमि से संबंधित यथा आवश्यकता विवरण और अभिलेखों सहित प्रस्ताव प्राप्त किया जाएगा.
3. संबंधित जिलाधिकारियों से भूमि के विनियमितीकरण हेतु पर प्रचलित सर्किल रेट के अनुसार विहित सीमा से अधिक भूमि की लागत का 10% का आगणन के साथ औपचारिक प्रस्ताव प्राप्त होने पर शासन के राजस्व विभाग द्वारा बिना पूर्व अनुमति के क्रय की गई भूमि के विनियमितीकरण के प्रस्ताव पर माननीय मंत्री परिषद का आदेश /अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा.
4. यदि यह समाधान हो जाता है कि कोई अंतरण लोकहित में विभिन्न विनिधान प्रोत्साहन नीतियों के अधीन अथवा राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहित की जा रही परियोजनाओं, निजी विश्वविद्यालयों तथा मेडिकल कॉलेजों के स्थापना के लिए किया गया है तो राजस्व विभाग द्वारा धारा 89 के उपधारा(3)में निर्धारित जुर्माना के संदाय से छूट प्रदान करने के प्रस्ताव पर माननीय मंत्री परिषद का अनुमोदन /आदेश प्राप्त किया जाएगा.
5. राजस्व विभाग एक साथ एक से अधिक प्रकरणों पर माननीय मंत्री परिषद का आदेश /अनुमोदन प्राप्त कर सकता है. माननीय मंत्री परिषद का आदेश प्राप्त होने के पश्चात औपचारिक आदेश निर्गत किए जाएंगे.
C. राजस्व अनुभाग -1 गाने के शासनादेश संख्या 09 /2022 /1025(1)/ एक-1- 2022- रा -1 दिनांक 23 दिसंबर 2022 द्वारा उपरोक्त शासनादेश दिनांक 26-10- 2021 में आंशिक संशोधन कर माननीय मंत्री परिषद की जगह माननीय राजस्व मंत्री से आदेश /अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा.