भारत में औद्योगिक क्रांति: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 औद्योगिक शहरों को दी मंजूरी
भारत का औद्योगिक परिदृश्य जल्द ही एक नई ऊंचाई पर पहुंचने वाला है, क्योंकि दिनांक 29/8/2024 को केंद्रीय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम’ (National Industrial Corridor Development Programme, NICDP) के तहत 12 नए परियोजनाओं को मंजूरी दी है। 28,602 करोड़ रुपये के निवेश से यह निर्णय भारत में औद्योगिक शहर के माध्यम से औद्योगिक ढांचे को बदलने और देश की आर्थिक वृद्धि एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
औद्योगिक स्मार्ट शहरों का “स्वर्णिम हार”
इस महत्वाकांक्षी पहल के तहत, भारत के 10 राज्यों में 6 प्रमुख गलियारों के साथ 12 नए औद्योगिक शहर और नोड्स स्थापित किए जाएंगे। इन औद्योगिक क्षेत्रों को उत्तराखंड के खुरपिया, पंजाब के राजपुरा-पटियाला, महाराष्ट्र के दिघी, केरल के पलक्कड़, उत्तर प्रदेश के आगरा और प्रयागराज, बिहार के गया, तेलंगाना के ज़हीराबाद, आंध्र प्रदेश के ओर्वकल और कोप्पारथी, और राजस्थान के जोधपुर-पाली में स्थित किया जाएगा।
महत्वपूर्ण पहलू:
1. रणनीतिक निवेश:
NICDP का उद्देश्य एक सशक्त औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करना है, जो बड़े एंकर उद्योगों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) से निवेश को प्रोत्साहित करेगा। ये औद्योगिक नोड्स 2030 तक $2 ट्रिलियन निर्यात का लक्ष्य हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिससे सरकार की आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धी भारत की दृष्टि को साकार किया जा सकेगा।
2. स्मार्ट शहर और आधुनिक अवसंरचना:
इन नए औद्योगिक शहरों को वैश्विक मानकों के अनुसार ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटीज के रूप में विकसित किया जाएगा। ‘प्लग-एन-प्ले’ और ‘वर्क-टू-वर्क’ अवधारणाओं पर आधारित यह शहर समय से पहले तैयार किए जाएंगे, जिससे औद्योगिक संचालन को सुचारू और कुशल बनाया जा सकेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि शहरों में उन्नत अवसंरचना हो, जो टिकाऊ और प्रभावी औद्योगिक गतिविधियों का समर्थन करेगी।
3. पीएम गति शक्ति के साथ समन्वय:
यह परियोजनाएं पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ संरेखित होंगी, जिसमें मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा होगी। इससे लोगों, सामानों और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित होगी। इन औद्योगिक शहरों को पूरे क्षेत्र के परिवर्तन के लिए विकास केंद्र के रूप में परिकल्पित किया गया है।
‘विकसित भारत’ की दृष्टि:
इन परियोजनाओं की मंजूरी ‘विकसित भारत’ की दृष्टि को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। NICDP के माध्यम से भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (Global Value Chains, GVC) में एक मजबूत ईकाई के रूप में स्थापित किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत विकसित भूमि पार्सल तैयार रहेंगे, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत में निर्माण इकाइयां स्थापित करना आसान हो जाएगा। यह आत्मनिर्भर भारत की व्यापक उद्देश्य को भी साकार करेगा, जिससे औद्योगिक उत्पादन और रोजगार में वृद्धि होगी।
आर्थिक प्रभाव और रोजगार सृजन:
NICDP से महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है, जिसमें अनुमानित 10 लाख प्रत्यक्ष और 30 लाख अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी। यह न केवल लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करेगा बल्कि उन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान देगा जहां ये परियोजनाएं लागू की जाएंगी।
सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता:
NICDP के तहत आने वाली परियोजनाएं सतत विकास पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जिसमें ICT सक्षम उपयोगिताओं और हरित प्रौद्योगिकियों का समावेश किया गया है ताकि पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव पड़े। सरकार का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय और सतत अवसंरचना प्रदान करना है, जिससे औद्योगिक शहर न केवल आर्थिक गतिविधियों के केंद्र बनें बल्कि पर्यावरण संरक्षण के मॉडल भी बनें।
भारत के औद्योगिक परिदृश्य का नया अध्याय:
NICDP के तहत 12 नए औद्योगिक नोड्स की मंजूरी भारत के वैश्विक विनिर्माण शक्ति बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। एकीकृत विकास, टिकाऊ अवसंरचना, और निर्बाध कनेक्टिविटी पर रणनीतिक फोकस के साथ, ये परियोजनाएं भारत के औद्योगिक परिदृश्य को पुनः परिभाषित करेंगी और आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि को प्रेरित करेंगी।
इन नई स्वीकृतियों के अलावा, NICDP ने पहले से ही चार परियोजनाओं को पूरा कर लिया है, जबकि चार अन्य परियोजनाएं वर्तमान में कार्यान्वयन के अधीन हैं। यह निरंतर प्रगति भारत के औद्योगिक क्षेत्र को बदलने और एक सशक्त, टिकाऊ और समावेशी आर्थिक वातावरण को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
इन परियोजनाओं का प्रभाव न केवल औद्योगिक उत्पादन और रोजगार सृजन में होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के विकास और संतुलित क्षेत्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, सरकार का उद्देश्य एक ऐसा औद्योगिक ढांचा तैयार करना है जो भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए और देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाए।