National Mission on Edible Oils – Oilseeds (NMEO-Oilseeds): A significant initiative

National Mission on Edible Oils – Oilseeds (NMEO-Oilseeds)

The Union Cabinet has approved the National Mission on Edible Oils – Oilseeds (NMEO-Oilseeds), a significant initiative aimed at making India self-reliant in oilseeds production. This mission seeks to reduce the country’s dependency on imported edible oils, which currently fulfill 57% of domestic demand. The mission will focus on enhancing the production of key oilseed crops such as rapeseed-mustard, groundnut, soybean, sunflower, and sesame.

With a financial outlay of ₹10,103 crore, this mission will span from 2024-25 to 2030-31. The goal is to increase oilseed production from 39 million tonnes in 2022-23 to nearly 69.7 million tonnes by 2030-31. To achieve this, several important steps have been planned, including the launch of the SATHI Portal, which will enable states to coordinate with stakeholders to ensure timely availability of quality seeds.

Key features of the National Mission on Edible Oils :

  • Establishment of 65 new seed hubs and 50 seed storage units to strengthen the seed production infrastructure.
  • Development of over 600 Value Chain Clusters across 347 districts, covering more than 1 million hectares annually.
  • Expansion of oilseed cultivation by an additional 4 million hectares, particularly in rice and potato fallow lands.
  • Promotion of high-yielding, high-oil-content seed varieties, utilization of genome editing technology, and encouragement of intercropping.

The mission also aims to create awareness regarding dietary guidelines for edible oils while providing environmental benefits such as reduced water usage and improved soil health. This initiative is in line with the Atmanirbhar Bharat mission and is expected to increase farmers’ incomes while reducing the country’s dependency on imports.

By collaborating with stakeholders such as Farmer Producer Organizations (FPOs), cooperatives, and private entities, the mission targets sustainable growth in the oilseeds sector, bringing a positive transformation to India’s agricultural landscape.


राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (NMEO-Oilseeds): आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (NMEO-Oilseeds), भारत को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मिशन का उद्देश्य देश में खाद्य तेलों की आयात पर निर्भरता को कम करना है, जो वर्तमान में घरेलू मांग का 57% आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। मिशन के तहत प्रमुख तिलहन फसलों जैसे सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, और तिल की उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।

₹10,103 करोड़ के वित्तीय प्रावधान के साथ, यह मिशन 2024-25 से 2030-31 तक चलेगा। इसका लक्ष्य 2022-23 में 39 मिलियन टन तिलहन उत्पादन को बढ़ाकर 2030-31 तक लगभग 69.7 मिलियन टन करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिनमें SATHI पोर्टल का शुभारंभ भी शामिल है, जो राज्यों को बीजों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वय करने में सक्षम बनाएगा।

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन की प्रमुख विशेषताएँ:

  • 65 नए बीज हब और 50 बीज भंडारण इकाइयों की स्थापना, जिससे बीज उत्पादन के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ किया जाएगा।
  • 347 जिलों में 600 से अधिक मूल्य श्रृंखला क्लस्टर का विकास, जो प्रतिवर्ष 10 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर करेंगे।
  • चावल और आलू के परती क्षेत्रों में तिलहन की खेती का विस्तार, जिससे 40 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि तिलहन उत्पादन के लिए उपयोग में लाई जाएगी।
  • उच्च उपज वाले और उच्च तेल सामग्री वाले बीजों के प्रचार-प्रसार, जीनोम एडिटिंग तकनीक का उपयोग और अंतर्वर्ती फसल (intercropping) को बढ़ावा देना।

मिशन का उद्देश्य खाद्य तेलों के लिए आहार संबंधी दिशानिर्देशों के प्रति जागरूकता फैलाना भी है और इसके साथ ही कम जल उपयोग और मृदा स्वास्थ्य में सुधार जैसे पर्यावरणीय लाभ प्रदान करना है। यह पहल आत्मनिर्भर भारत मिशन के साथ मेल खाती है और इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होने की उम्मीद है, साथ ही देश की आयात पर निर्भरता में कमी आएगी।

किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), सहकारी समितियों और निजी इकाइयों के साथ मिलकर यह मिशन तिलहन क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देगा, जिससे भारत के कृषि क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव आएगा।





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