आबादी या ग्रामीण आबादी
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 4 (1 ) में आबादी या ग्रामीण आबादी को परिभाषित किया गया है .इस धारा के अनुसार आबादी या ग्रामीण आबादी का तात्पर्य किसी ग्राम के ऐसे क्षेत्र से है जिसका उपयोग इस संहिता के प्रारंभ होने के दिनांक को उसके निवासियों के आवास के प्रयोजनों के लिए या उसके सहायक प्रयोजनों यथा ,सहन व् हरे वृक्षों ,कुओं आदि के लिए किया जा रहा हो या जिसे एतदपश्चात् ऐसे प्रयोजन के लिए आरक्षित किया गया हो या किया जाये.
इस प्रकार आबादी या ग्राम आबादी इस धारा के अनुसार ग्राम के ऐसे क्षेत्र हैं ;
(1) जिनका उपयोग इस संहिता के प्रारंभ होने के दिनांक को आवास या उसके सहायक प्रयोजन के लिए किया जा रहा हो,
(2) या , ऐसे प्रयोजन के लिए आरक्षित किया गया हो ,
(3 )या ,ऐसे प्रयोजन के लिए आरक्षित किया जाये .
बिंदु सं (1) में ऐसी भूमि शामिल हैं जो पूर्व से आबादी के रूप में प्रयुक्त हो रहा है . ऐसी भूमि को डीह, पुरानी आबादी आदि ,कहते है . इस भूमि में गाँव की अधिकतम जनसँख्या निवास करती है . राजस्व अभिलेख में इसे श्रेणी 6(2 ) के रूप वर्गीकृत किया जाता है .
बिंदु सं (2) में ऐसी भूमि शामिल हैं जिन्हें चकबंदी प्रक्रिया में आबादी के रूप में पृथक किया गया है . ग्राम की बढती आबादी के लिए निवास योग्य भूमि की आवश्यकता की पूर्ति हेतु चकबंदी प्रक्रिया में इसे श्रेणी 6 (2) के रूप में निकाला जाता है. खासकर ग्राम के पिछड़े तबके के पास निवास योग्य भूमिं की अपर्याप्तता के कारण इस भूमि को चिन्हित किया जाता है . इस भूमि पर पूर्व से मौके पर आवास बने हो सकते हैं या भूमि खाली पड़ी हो सकती है .यदि भूमि खाली होती है तो ग्राम के निवासी इस भूमि पर कब्ज़ा कर आवासीय प्रयोजन में प्रयोग कर सकते हैं. हालाँकि ऐसी भूमि को भूमिं प्रबंधक समिति के प्रस्ताव द्वारा ग्राम के आवास हेतु पात्र व्यक्ति को ही आवंटन कर भूमि पर कब्ज़ा देना चाहिए .
बिंदु सं (3) में मुख्यतः श्रेणी (5) अर्थात बंजर ,नवीन परती आदि भूमि शामिल हैं जिन्हें भूमि प्रबंधक समिति के प्रस्ताव पर उपजिलाधिकारी द्वारा ग्राम के पात्र व्यक्तियों को आवास निर्माण हेतु भूमि दिया जाता है .
उपरोक्त के अतिरिक्त संक्रमणीय अधिकार वाला कोई भूमिधर अपनी कृषि भूमि का उपयोग आबादी के रूप में कर सकता है.कृषि भूमि का उपयोग आवासीय अथवा व्यवसायिक प्रयोजन के लिए किया जा सकता है. यदि कृषि भूमि का प्रयोग व्यावसायिक रूप में होता है तो उसे आबादी नही माना जाता है परन्तु कृषि भूमि का प्रयोग यदि आवासीय रूप, जिनमे मौके पर घर बना कर निवासरत होना आवश्यक है ,में किया जाता है तो ऐसी कृषि भूमि आबादी की भूमि कहलाती है.यदि कृषि भूमि का प्रयोग पशुपालन के लिया किया जाता है परन्तु कोई व्यक्ति उस भूमि को निवास के रूप में प्रयोग नहीं करता है तो ऐसी भूमि कृषि भूमि ही कहलाएगी .
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 80 के अंतर्गत उद्घोषणा के पश्चात् कृषि भूमिं को आबादी कहने का सामान्य चलन हो गया है . परन्तु तकनिकी रूप से धारा 80 की घोषणा के पश्चात् कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि के रूप में परिवर्तित किया जाता है . गैर कृषि भूमि के रूप में घोषणा होने पर मौके पर आवास , वाणिज्य , व्यवसायिक आदि तरह के कार्य हो सकते हैं. यदि मौके पर आवास बना हो और धारा 80 के अंतर्गत घोषणा भी आवासीय प्रयोजन हेतु किया गया हो तो ऐसी भूमि को आबादी कहा जा सकता है .
जोखू बनाम राम लखन वाद में मा . उच्च न्यायालय द्वारा यह निर्णय दिया गया की आबादी होने के लिए धारा 80 के अंतर्गत घोषणा अनिवार्य नहीं है .यदि किसी व्यक्ति ने अपनी भूमि पर भवन का निर्माण कर लिया है और संलग्न सहन की जमीन पर उसका खूंटा ,जानवरों के रहने की झोपडी तथा हैंडपंप आदि लगे हैं , तो उसे आबादी की संज्ञा दी जा सकती है .
आबादी की भूमि कि पैमाइश राजस्व संहिता के उपबंधो के अंतर्गत नही किया जा सकता है . आबादी की भूमि के संबध में राजस्व न्यायालय का अधिकार समाप्त हो जाता है .ऐसी भूमि के संबध में समस्त विवादों का निस्तारण सिविल न्यायालय द्वारा किया जाता है .
आबादी भूमि के संबध में स्वामित्व योजना क्या है ?
राजस्व संहिता की धारा 43 (2) में यह उपबंधित है कि राज्य सरकार यह आदेशित कर सकती है की किसी आबादी या ग्राम आबादी के सम्बन्ध में सर्वेक्षण क्रिया या अभिलेख क्रिया या दोनों विहित रूप से किया जाये .इस धारा की पूर्ति के लिए मा . राजस्व परिषद् ने आबादी सर्वे तथा रिकॉर्ड ऑपरेशन रेगुलेशन 2020जारी किया है तथा आबादी भूमि का सर्वे कर उनका अभिलेख तैयार किया गया है .
इन तैयार अभिलेख को घरौनी कहा जाता है . घरौनी तैयार करने की पूरी कार्यवाही स्वामित्व योजना कहलाती है . स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन हेतु पंचायती राज विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है .जिन्हें राजस्व विभाग के साथ समन्वय कर घरौनी तैयार करने की जिमीदारी दी गई है . हालाँकि स्वामित्व योजना की लगभग समस्त कार्यवाही राजस्व विभाग द्वारा ही निष्पादित की गई है .
स्वामित्व योजना के लाभ :
- कृषि भूमि की तरह आबादी भूमि पर मालिकाना हक़ प्राप्त होता है .आबादी भूमि पर ग्रामीण जन वर्षो से काबिज रहते हैं परन्तु उनके कब्जे के संबध में उनके पास कोई अभिलेख नही होता था , घरौनी बन जाने से प्रत्येक परिवार को उनके कब्जे से सम्बंधित स्थिति स्पष्ट हो जाती है .
- प्रत्येक परिवार द्वारा कब्ज़ा की गई भूमि का नक्शा स्पष्ट हो जाता है .
- आबादी की भूमि का नक्शा व् रकबा स्पष्ट हो जाने से भूमिं का क्रय विक्रय , लोन आदि में सुगमता हो गई है .
यहाँ यह उल्लेख किया जाना समीचीन है की स्वामित्व योजना के अंतर्गत सिर्फ वैसी आबादी की भूमि को शामिल किया किया गया है जो अभिलेख में श्रेणी 6 (2) के रूप में दर्ज है . स्वामित्व योजना में वैसी भूमि की घरौनी तैयार नही की गई है जो पहले से विवादित हैं या सर्वे के दौरान विवादित हो गए हैं.