कलेक्टर किसी राजस्व अधिकारी से किन प्रकरणों में अर्थदंड अधिरोपित कर वसूली कर सकते हैं?
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 18 के अनुसार ऐसे मामले जिसमें किसी अधीनस्थ राजस्व अधिकारी के प्रभार में लोक धन या कागज -पत्र या अन्य संपत्ति रखी गई हो तथा वह राजस्व अधिकारी उसे लेकर फरार हो जाए या देने से इनकार करें तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कलेक्टर ऐसे राजस्व अधिकारी के ऊपर अर्थदंड अधिरोपित कर कार्यवाही कर सकते हैं.
राजस्व संहिता की धारा 18 के अंतर्गत कलेक्टर किसी राजस्व अधिकारी के विरुद्ध कितनी धनराशि आरोपित कर सकते हैं?
इस धारा के अंतर्गत कलेक्टर ₹250 प्रतिदिन के लिए अर्थदंड लगा सकते हैं जिसकी अधिकतम सीमा ₹25000 होगी.
राजस्व अधिकारी के विरुद्ध अर्थदंड लगाए जाने के पूर्व क्या कार्रवाई की जानी आवश्यक है?
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली 2016 के नियम 15 के अनुसार कलेक्टर अर्थदंड आरोपित करने से पहले संबंधित राजस्व अधिकारी पर आरसी प्रपत्र 2 में कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे और सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान करेंगे. यदि राजस्व अधिकारी सुनवाई उपरांत अर्थदंड से दंडित किया जाता है तथा अधिरोपित अर्थदंड जमा नहीं करता है तो संहिता की धारा 223 के अंतर्गत अर्थदंड भू राजस्व के बकाया की भांति वसूल की जा सकती है.
राजस्व संहिता की धारा 18 के अंतर्गत क्या गिरफ्तारी की कार्रवाई भी हो सकती है?
यदि किसी राजस्व अधिकारी के विरुद्ध धारा 18 के अंतर्गत कलेक्टर अर्थदंड आरोपित करते हैं तथा संबंधित अधिकारी अर्थदंड जमा नहीं करता है तो धारा 18 (3 )के अनुपालन में कलेक्टर संबंधित राजस्व अधिकारी के विरुद्ध वारंट जारी कर सिविल कारागार में निरुद्ध करा सकते हैं जो कि अधिकतम 30 दिनों के लिए होगी.
राजस्व अधिकारी किसे माना गया है?
राजस्व संहिता की धारा 4(17) के अनुसार राजस्व अधिकारी का तात्पर्य आयुक्त ,अपर आयुक्त ,कलेक्टर ,अपर कलेक्टर, मुख्य राजस्व अधिकारी, उप जिलाधिकारी, सहायक कलेक्टर, बंदोबस्त अधिकारी, सहायक बंदोबस्त अधिकारी, अभिलेख अधिकारी, सहायक अभिलेख अधिकारी, तहसीलदार ,तहसीलदार (न्यायिक), नायब तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक से है.