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कॉलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (CAS) क्या है?
कॉलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (CAS) ऐसी तकनीकों का एक समूह है जो वाहनों के बीच टकराव या किसी बाधा से बचने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इन प्रणालियों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वाहन बिना एक-दूसरे से या किसी अवरोधक से टकराएं बिना सुरक्षित तरीके से चले | CAS सिस्टम वास्तविक समय में वाहन के आसपास के वातावरण से जानकारी इकट्ठा करता है, जैसे अन्य वाहनों की स्थिति और गति, और फिर इस जानकारी का उपयोग करके संभावित टकराव से बचने के लिए आवश्यक निर्णय लेता है। इस प्रकार के निर्णयों में चालक को चेतावनी देना या यहां तक कि वाहन के ब्रेक, स्टीयरिंग, या अन्य प्रणालियों को स्वचालित रूप से नियंत्रित करना शामिल हो सकता है।
भूमि आधारित वाहनों मेंकॉलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (CAS) का उपयोग:
- कारों में CAS: कारों में CAS आमतौर पर रडार, लिडार, या कैमरों का उपयोग करता है जो दूसरे वाहनों के सापेक्ष दूरी और गति को मापते हैं। अगर CAS को लगता है कि दोनों कारों के बीच की दूरी खतरनाक रूप से कम हो सकती है, तो यह स्वतः ही आपातकालीन ब्रेक लगा सकता है, भले ही चालक ने ब्रेक लगाने का निर्देश न दिया हो। इस कार्य को पूरा करने के लिए, CAS को कार के ब्रेक सिस्टम, स्पीड मीटर और अन्य सेंसर से जोड़ा जाता है, जो फ्रंट कार की निगरानी के लिए रडार, लिडार, या कैमरों का उपयोग करते हैं।
- रेलवे में CAS: रेलवे के लिए CAS सिस्टम कारों की तुलना में अधिक जटिल होते हैं। भारत में, कवच नामक प्रणाली का विकास किया गया है जो भारतीय रेल के लिए एक स्वदेशी CAS है। कवच के तीन मुख्य घटक होते हैं: ऑनबोर्ड, ट्रैकसाइड, और संचार।
- कंप्यूटर (Onboard): ट्रेन में एक ऑनबोर्ड कंप्यूटर होता है, और स्टेशन मास्टरों के लिए दो अन्य कंप्यूटर होते हैं। इनमें से एक मास्टर कंप्यूटर होता है जो सिग्नल और इंटरलॉकिंग पॉइंट्स से जानकारी इकट्ठा करता है और इसे लोकोमोटिव कंप्यूटर (ट्रेन के कंप्यूटर) को भेजता है। दूसरा कंप्यूटर रिमोट इंटरफेस यूनिट होता है, जो रेलवे नेटवर्क के विभिन्न बिंदुओं से जानकारी एकत्र करता है और इसे मास्टर कंप्यूटर को भेजता है।
- संचार (Communication): रिमोट इंटरफेस यूनिट मास्टर कंप्यूटर को डेटा फाइबर-ऑप्टिक केबल्स के माध्यम से भेजता है। मास्टर कंप्यूटर लोकोमोटिव कंप्यूटर के साथ अल्ट्रा-हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो का उपयोग करके संवाद करता है। ऑनबोर्ड कंप्यूटर GSM-रेलवे का उपयोग करके पूरे नेटवर्क प्रबंधन प्रणाली (जो कवच CAS को संचालित करता है) के साथ संवाद करता है।
- नियंत्रण (Control): ऑनबोर्ड कंप्यूटर ट्रेन के अन्य हिस्सों, जैसे ब्रेकिंग सिस्टम और पायलटों को चेतावनी देने के लिए अलार्म से जुड़ा होता है। ट्रेन पायलट एक विशेष इंटरफेस का उपयोग करते हैं, जो कंप्यूटर से जानकारी प्राप्त करता है और पायलटों से इनपुट लेता है। स्टेशन मास्टर के पास एक समान इंटरफेस होता है, जिसमें SOS संदेश भेजने की क्षमता होती है।
विमानों और जहाजों में कॉलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (CAS) का प्रयोग
- विमानों में CAS: विमानों के लिए, CAS में ट्रैफिक कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (TCAS) शामिल है। TCAS एक कंप्यूटर-ट्रांसपोंडर प्रणाली है जिसमें प्रत्येक विमान में एक ट्रांसपोंडर होता है। यह ट्रांसपोंडर रेडियो-फ्रीक्वेंसी सिग्नल प्राप्त करने पर एक प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है। इस प्रणाली के माध्यम से, विमान के चारों ओर की वायु यातायात की 3D छवि बनाई जा सकती है। यदि कोई अन्य विमान संभावित टकराव के मार्ग पर 48 सेकंड के भीतर है, तो कंप्यूटर एक ट्रैफिक एडवाइजरी जारी करता है, जिसमें पायलटों को दूसरे विमान को दृश्य रूप से पहचानने की आवश्यकता होती है। अगर टकराव का खतरा 30 सेकंड से कम समय में है, तो सिस्टम पायलटों को बचाव के लिए विमान को एक सुरक्षित मार्ग पर ले जाने का निर्देश देता है, भले ही इसके लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल के निर्देशों के विपरीत जाना पड़े।
- जहाजों(ships ) में CAS: जहाजों में CAS के लिए रडार और दृश्य अवलोकन के साथ-साथ दो प्रमुख प्रणालियों का उपयोग किया जाता है: ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) और लॉन्ग रेंज आइडेंटिफिकेशन एंड ट्रैकिंग (LRIT)। AIS भूमि आधारित स्टेशनों को जहाजों से प्राप्त डेटा का उपयोग करके उनकी स्थिति, गति, और दिशा को ट्रैक करता है और इन जानकारियों को प्रत्येक जहाज के साथ साझा करता है। LRIT अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर निकले जहाजों को हर छह घंटे में अपनी स्थिति और स्थानीय समय की जानकारी संबंधित अधिकारियों को भेजने के लिए बाध्य करता है।
सैटेलाइट तकनीक और कॉलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (CAS):
सैटेलाइट तकनीक ने CAS को और भी प्रभावी बना दिया है। उदाहरण के लिए, ऑटोमैटिक डिपेंडेंट सर्विलांस-ब्रॉडकास्ट (ADS-B) एक ऐसी प्रणाली है, जो उपग्रहों का उपयोग करके प्रत्येक विमान द्वारा साझा की गई जानकारी को एकत्र करती है और उसे संसाधित करती है। इसी तरह, सैटेलाइट-एआईएस (S-AIS) प्रणाली उन जहाजों को ट्रैक करने के लिए उपयोगी होती है, जो भूमि आधारित AIS स्टेशनों से बहुत दूर होते हैं।
इसके अलावा, GPS (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) जैसे सिस्टम ने नेविगेशन और टकराव से बचाव को अत्यधिक सटीक बना दिया है, जिससे यातायात की सुरक्षा में काफी सुधार हुआ है। भारत जैसे देश अपने विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए इन प्रणालियों को और अधिक अनुकूलित करने के लिए अपने स्वयं के सैटेलाइट सिस्टम विकसित कर रहे हैं, जैसे कि NavIC (Navigation with Indian Constellation), जिसका उपयोग सड़कों और रेलवे ट्रैफिक को सहायता देने के लिए किया जा रहा है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी देश में सड़कों पर चलने वाली कारें GPS के साथ टैग किए गए विभिन्न ट्रैफिक एलिमेंट्स (जैसे स्टॉप साइन, मोड़, सिग्नल आदि) के डेटाबेस का उपयोग कर रही हैं, तो उन कारों में लगे CAS सिस्टम को GPS डेटा से भी सहायता मिल सकती है। हालांकि, नागरिक उपयोग के लिए GPS की स्थानिक सटीकता 10 मीटर तक सीमित है, जो CAS के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती। लेकिन इस सीमा को डिफरेंशियल GPS क्षमताओं का उपयोग करके दूर किया जा सकता है, जो सटीकता को 1 मीटर से भी कम तक बढ़ा सकता है।
इस प्रकार, CAS सिस्टम आधुनिक परिवहन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं, जो विभिन्न परिवहन साधनों में सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।