गांव निधि क्या होता है?
गांव निधि की स्थापना उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1947 की धारा 32 के अंतर्गत की गई है. उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 4(22) में गांव निधि की परिभाषा पंचायती राज अधिनियम से ही ली गई है तथा धारा 68 में यह उपबंध किया गया है कि गांव सभा ,ग्राम पंचायत या भूमि प्रबंधन समिति द्वारा प्राप्त समस्त धनराशि गांव निधि में जमा की जाएगी .साथ ही परंतुक में यह भी स्पष्ट किया गया है कि धारा 67 के अंतर्गत प्राप्त क्षति एवं प्रतिकर की धनराशि गांव निधि में जमा नहीं की जाएगी बल्कि समेकित गांव निधि में जमा की जाएगी.
गांव निधि में फंडिंग कैसे होती है?
1.किसी कर से होने वाली आय;
2.राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायत को दी गई समस्त धन राशियां;
3.विलेज पंचायत एक्ट के अधीन पहले से विद्यमान विलेज पंचायत के नाम जमा अवशेष धनराशि ,यदि कोई हो;
4.किसी न्यायालय के आदेश द्वारा जमा कराई गई धनराशि;
5.पंचायती राज अधिनियम की धारा 104 के अंतर्गत जमा धनराशि;
6.गांव की परिसंपत्ति के विक्रय से प्राप्त धनराशि;
7.नजूल की संपत्ति से प्राप्त लगान जिसे राज्य सरकार की अनुमति से गांव निधि में जमा किया जाना हो;
8.जिला पंचायत/ स्थानीय प्राधिकारी द्वारा दिया गया अंशदान;
9.ऋण अथवा दान स्वरूप प्राप्त धनराशि;
10.राज्य सरकार के विशेष या सामान्य आदेश द्वारा दी गई धनराशि;
11.पंचायती राज अधिनियम की धारा 24 अथवा अन्य विधि के अधीन ग्राम पंचायतों को किसी व्यक्ति अथवा निगम अथवा सरकार से प्राप्त धनराशि;
12.राज्य की संचित निधि से प्राप्त सहायता अनुदान;
गांव निधि से खर्च किन मदों में और कौन कर सकता है?
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 68 (3) तथा उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली 2016 के नियम 69 (4 )के अनुसार गांव निधि का उपयोग राजस्व संहिता की धारा 60(2) में दिए गए उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:
1.भूमि का बंदोबस्त और प्रबंधन;
2.वनो ,वृक्षों और चारागाह का संरक्षण, अनुरक्षण और विकास;
3.आबादी स्थलों और ग्रामीण संचार व्यवस्था का अनुरक्षण और विकास;
4.हाटों,बाजारों और मेलों का प्रबंधन;
5.मत्स्य क्षेत्र और तालाबों का अनुरक्षण और विकास;
6.कुटीर उद्योगों का विकास;
7.कृषि का विकास और उसमें सुधार;
8.ग्राम पंचायत द्वारा या उसके विरुद्ध वादों और कार्यवाहीयों का संचालन और अभियोजन;
9.ऐसे अन्य मामले जो विहित किए जाएं.
गांव निधि से धन का समस्त आहरण और वितरण ग्राम पंचायत के प्रधान और सचिव द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा. गांव निधि से प्रत्येक खर्च के लिए भूमि प्रबंधक समिति का प्रस्ताव पारित किया जाना आवश्यक है. समस्त आहरण ग्राम पंचायत के प्रधान और सचिव द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा. गांव निधि के प्रबंधन तथा उसका उचित लेखा-जोखा रखने का उत्तरदायित्व समिति के अध्यक्ष पर होगा.
समेकित गांव निधि क्या होता है?
संहिता की धारा 69(1) में यह व्यवस्था की गई है कि प्रत्येक जिले के लिए एक समेकित गांव निधि की स्थापना की जाएगी ,जिस का संचालन कलेक्टर द्वारा किया जाएगा. समेकित गांव निधि में निम्नलिखित धनराशि जमा की जाएगी:
1. राजस्व संहिता की धारा 67 के अधीन प्राप्त क्षति एवं प्रतिकर की धनराशि;
2.गांव निधि से अंशदान के रूप में प्राप्त धनराशि;
3.संहिता की धारा 136 (1) के अंतर्गत वसूल की गई क्षतिपूर्ति धनराशि;
4.संहिता की धारा 151 (1) के अंतर्गत वसूल की गई क्षतिपूर्ति की धनराशि;
5.संहिता की धारा 228 के अंतर्गत पेड़ों के मूल्य की तथा दंड के स्वरूप वसूल की गई धनराशि;
6.संहिता की धारा 69(3) में उल्लिखित व्यय को पूरा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा दिया गया कोई अनुदान या अंशदान.
समेकित गांव निधि का उपयोग किन प्रयोजनों के लिए किया जा सकता है?
1.संहिता की धारा 72 के अधीन नियुक्त नामिका अधिवक्ताओं /अधिवक्ताओं की फीस और उनके भत्ते;
2.ग्राम पंचायत, भूमि प्रबंधन समिति द्वारा या उसके विरुद्ध वादों के संचालन में व्यय के भुगतान हेतु;
3.सामान्य उपयोगिता के भूमि के संरक्षण, परिरक्षण और विकास पर होने वाली व्यय;
4.ऐसी अन्य धनराशि का भुगतान जिसे राज्य सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा समुचित प्रभार के रूप में घोषित करें.
तहसील स्तरीय समेकित गांव निधि
धारा 69 (5) में तहसील स्तर पर समेकित गांव निधि स्थापित किए जाने का प्रावधान किया गया है .इस धारा के अनुपालन में राजस्व अनुभाग -1 द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या 4 /2018/ 375/ एक-1- 2018- 20 (10)/ 2016 दिनांक 9 अप्रैल 2018 में निम्न व्यवस्था दी गई है:
(A).प्रत्येक तहसील हेतु एक समेकित गांव निधि स्थापित की जाएगी;
(B).गांव निधि की 25% धनराशि समेकित जिला गांव निधि में जमा की जाएगी और समेकित जिला गांव निधि में जमा की गई गांव निधि की धनराशि में से 60% धनराशि समेकित तहसील गांव निधि में जमा की जाएगी और 40% धनराशि समेकित जिला गांव निधि में अवशेष रहेगी.
(C).धारा 67 की उप धारा 1 के परंतु के अधीन प्राप्त धनराशि में से 50% धनराशि समेकित तहसील गांव निधि में जमा की जाएगी तथा 50% धनराशि समेकित जिला गांव निधि में अवशेष रहेगी.
दूसरे शब्दों में धारा 67 के अंतर्गत बेदखली के वाद में अधिरोपित क्षतिपूर्ति एवं निष्पादन व्यय से प्राप्त धनराशि का 50% समेकित तहसील गांव निधि तथा 50% धनराशि समेकित जिला गांव निधि में जमा किया जाएगा.
तहसील स्तर पर समेकित गांव निधि का खाता संबंधित उप जिलाधिकारी और तहसीलदार द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाएगा.
समेकित गांव निधि और गांव निधि में क्या अंतर है?
गांव निधि प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए गठित की गई है . गांव निधि में जमा धनराशि का व्यय करने का अधिकार ग्राम पंचायत के पास है. गांव निधि में जमा धनराशि का कुछ प्रतिशत प्रतिवर्ष समेकित गांव निधि में जमा किया जाता है.
समेकित गांव निधि के दो विभाजन है; समेकित जिला गांव निधि तथा समेकित तहसील गांव निधि. समेकित जिला गांव निधि का नियंत्रण कलेक्टर के अधीन होता है और समेकित तहसील गांव निधि का नियंत्रण उप जिलाधिकारी और तहसीलदार संयुक्त रूप से करते हैं. गांव निधि में जमा धनराशि का कुछ प्रतिशत प्रतिवर्ष समेकित गांव निधि (जिला और तहसील) में जमा किया जाता है. समेकित गांव निधि (जिला व तहसील )से कोई पैसा गांव निधि को अंतरित नहीं किया जाता है.
अन्य महत्वपूर्ण तत्व
जहां की राज्य सरकार ने गांव निधि में जमा होने वाली समस्त राशि का एक निर्धारित प्रतिशत समेकित गांव निधि में जमा करने संबंधी कोई अधिसूचना जारी की है तो कलेक्टर भूमि प्रबंधक समिति के अध्यक्ष को प्रत्येक वर्ष के जून माह में यह निर्देश निर्गत करेंगे कि निर्धारित राशि को जिला स्तरीय एवं तहसील स्तरीय समेकित गांव निधि में अलग-अलग जमा किया जाए. भूमि प्रबंधक समिति के अध्यक्ष उपयुक्त निर्देश का अनुपालन करेंगे और समिति की अगली बैठक में सूचित करेंगे.
Utrradikar ka niyam
Kya hai
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