
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 93
यदि कोई व्यक्ति कर्ज के बदले अथवा कर्ज पर ब्याज के बदले अग्रिम धनराशि उधार देने वाले से प्राप्त करता है तथा धनराशि प्राप्त करने के बदले अपनी किसी जोत या उसके किसी भाग का कब्जा उधार देने वाले को ट्रांसफर करता है तो ट्रांसफर की यह प्रक्रिया विक्रय माना जाएगा और यह विक्रय उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 89 के उपबंध के अधीन होंगे, अर्थात यदि कब्जे के आधार पर अंतरण के फल स्वरुप अंतरीति के पास सीलिंग की सीमा से अधिक भूमि हो जाती है तो राजस्व संहिता की धारा 104 एवं 105 के प्रावधान के अंतर्गत भूमि राज्य सरकार में निहित हो जाएगी.
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 93 कब लागू होती है?
धारा 93 के प्रावधान निम्नलिखित परिस्थितियों में लागू होते हैं:
>कोई व्यक्ति कर्ज के बदले अथवा कर्ज पर ब्याज के बदले अग्रिम धनराशि प्राप्त करता है
>धनराशि के बदले वह अपनी जोत भूमि का कब्जा उधार देने वाले को ट्रांसफर करता है
>धनराशि के बदले कब्जा देने की प्रक्रिया विक्रय के रूप में अंतरण माना जाएगा..
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 93 के प्रावधान लागू होने पर क्या दाखिल खारिज की कार्यवाही हो सकती है?
राजस्व संहिता की धारा 93 में उल्लिखित प्रावधान के आधार पर दाखिल खारिज की कार्यवाही नहीं की जा सकती है ऐसे प्रकरण में घोषणात्मक वाद उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 144 के अंतर्गत लागू होगा.