नदियों में मत्स्य आखेट हेतु आवंटन की प्रक्रिया

राजस्व अनुभाग – 2 ,लखनऊ द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या-1/ 2019/ 33/ एक-2- 2019-19 (रिट)/ 2018, दिनांक 10 जनवरी 2019 द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य के भौगोलिक क्षेत्राधिकार में पड़ने वाली नदियों /बहती जल धाराओं में मत्स्य आखेट प्रबंधन हेतु व्यवस्था दी गई है.

मत्स्य आखेट क्षेत्रों का चिन्हांकन

नदियों में मत्स्य आखेट (शिकार माही )हेतु संबंधित जनपद के जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक तहसील में उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में तहसील स्तरीय मत्स्य आखेट समिति का गठन किया जाएगा-

1 उप जिलाधकारी अध्यक्ष

2 जिलाधिकारी द्वारा नामित खंड विकास अधिकारी सदस्य

3 अधिशासी अभियंता सिंचाई द्वारा नामित सहायक अभियंता सदस्य

4 अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत द्वारा नामित अधिकारी सदस्य

5 सहायक वन संरक्षक सदस्य

6 सहायक निदेशक मत्स्य/ जनपदीय मत्स्य अधिकारी सदस्य सचिव

उपरोक्त समिति द्वारा तहसील में बहने वाली नदियां /बहती जलधारा में सर्वेक्षण कर मत्स्य आखेट क्षेत्रों का ग्राम पंचायत अथवा आवागमन की सुगमता अथवा नौकाघाट आदि सीमा विभाजक के रूप में लेते हुए चिन्हित किया जाएगा. चिन्हांकन के साथ मत्स्य मात्रा के निर्धारण एवं उसका न्यूनतम आरक्षित मूल्य निर्धारण का कार्य प्रत्येक वर्ष में माह अप्रैल में पूर्ण किया जाएगा .नदियों में मत्स्य आखेट हेतु प्रतिबंधित क्षेत्रों को मत्स्य आखेट क्षेत्रों के चिन्हांकन से पृथक रखा जाएगा. मत्स्य मात्रा के निर्धारण के आधार पर मत्स्य आखेट क्षेत्र का न्यूनतम आरक्षित मूल्य निर्धारित किया जाएगा जिसका अनुमोदन जिलाधिकारी द्वारा किया जाएगा.

मत्स्य आखेट हेतु मत्स्य जीवी सहकारी समितियों की पात्रता का निर्धारण

1.संबंधित ग्राम में निवास करने वाले मछुआ समुदाय के व्यक्तियों की सहकारी समितियां जो उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965 के अंतर्गत रजिस्ट्रीकृत हो और मत्स्य पालन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा मान्यता प्राप्त हो.

2.संबंधित न्याय पंचायत क्षेत्र में निवास करने वाले मछुआ समुदाय के व्यक्तियों की सरकारी समितियां जो ऊपर की भांति पंजीकृत और मान्यता प्राप्त हो.

3.संबंधित विकासखंड में निवास करने वाले मछुआ समुदाय की समितियां जो ऊपर की भांति पंजीकृत और मान्यता प्राप्त हो.

4.संबंधित जनपद में निवास करने वाली मछुआ समुदाय की सहकारी समितियां जो ऊपर की भांति पंजीकृत और मान्यता प्राप्त हो.

5.उत्तर प्रदेश राज्य में निवास करने वाले मछुआ समुदाय की सहकारी समितियां जो ऊपर की भांति पंजीकृत और मान्यता प्राप्त हो.

6.अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों की सहकारी समितियां जो ऊपर की भांति पंजीकृत और मान्यता प्राप्त हो.

7.अन्य कोई सहकारी समितियां जो ऊपर की भांति पंजीकृत और मान्यता प्राप्त हो.

स्पष्टीकरण

1.चिन्हित मत्स्य आखेट क्षेत्र जिस ग्राम/ग्रामों में पडता है उस ग्राम/ ग्रामों की ग्राम पंचायत/ पंचायत में पड़ने वाली मत्स्य जीवी सहकारी समिति पात्र मानी जाएगी. यदि चयनित मत्स्य आखेट क्षेत्र में केवल एक मत्स्य जीवी सहकारी समिति पात्र हैं तो न्यूनतम आरक्षित मूल्य पर पट्टा किया जाएगा .पात्रता सूची में एक से अधिक मत्स्य जीवी सहकारी समितियां है तो मौके पर नीलामी कराई जाएगी जिसमें केवल पात्रता सूची में उल्लिखित समितियों के अधिकृत प्रतिनिधि ही प्रतिभाग कर सकेंगे.

2. यदि चिन्हित मत्स्य आखेट क्षेत्र वाली नदी दो जिलों की सीमाओं से होकर पूर्व पश्चिम बहती है तो उत्तर में पड़ने वाले जनपद के जिला अधिकारी द्वारा प्रथम वर्ष में पट्टा नीलामी की जाएगी और दक्षिण में पड़ने वाले जिलाधिकारी द्वारा दूसरे वर्ष में पट्टा/ नीलामी की जाएगी. इसी प्रकार यदि नदी उत्तर पश्चिम में बहती है तो पूर्व में बहने वाले जनपद के जिला अधिकारी द्वारा प्रथम वर्ष में पट्टा/ नीलामी की जाएगी और पश्चिम में पड़ने वाले जिलाधिकारी द्वारा दूसरे वर्ष पट्टा/नीलामी की जाएगी. यह व्यवस्था क्रमानुसार आगे की अवधि के लिए भी जारी रहेगी.

3. संबंधित जिलाधिकारी द्वारा नामित अपर जिलाधिकारी या उपजिलाधिकारी पट्टा आवंटन/ नीलाम अधिकारी होंगे . चिन्हित क्षेत्र में पट्टा /नीलामी समिति द्वारा माह मई व जून के अंत तक कर दी जाएगी. पट्टा/ नीलामी से पूर्व कम से कम दो हिंदी समाचार पत्रों में सूचना प्रकाशित कराई जाएगी .पट्टा/ नीलामी के आवेदन हेतु कम से कम 21 दिन( 3 सप्ताह) का समय दिया जाएगा. मत्स्य आखेट समिति बोली में अधिकतम धन राशि वाली मत्स्य जीवी सरकारी समिति से बोली कि 25% धनराशि तत्काल जमा कराएगी . शेष धनराशि 1 सप्ताह में जमा करना अनिवार्य होगा. जिलाधिकारी का समाधान होने पर कि मत्स्य आखेट क्षेत्र को आवंटित करने का निर्णय नियम के अनुसार किया गया है तो जिलाधिकारी पट्टा/ नीलामी को स्वीकृति दे देंगे.

4. पट्टा/ नीलामी से प्राप्त धनराशि की 25% धनराशि अनुपातिक रुप से संबंधित ग्राम पंचायतों को 25% धनराशि जिला पंचायत को और 50% धनराशि जिलाधिकारी द्वारा स्थापित किए जाने वाले मत्स्य विकास निधि के बैंक खाते में जमा की जाएगी.

5. पट्टा /नीलामी से क्षुब्ध व्यक्ति द्वारा पट्टा /नीलामी की स्वीकृति की तिथि से 30 दिन के अंदर मंडलायुक्त को अपील कर सकते हैं. मंडलायुक्त के आदेश के विरूद्ध 30 दिन के अंदर राजस्व परिषद में निगरानी योजित की जा सकती है और निगरानी में पारित आदेश अंतिम आदेश होगा.

मत्स्य आखेट हेतु शर्तें

1 पट्टा धारक /नीलामी प्राप्तकर्ता द्वारा प्रत्येक वर्ष 1 जून से 30 अगस्त तक नदियों में मत्स्य आखेट प्रतिबंधित रखा जाएगा. पट्टा धारक द्वारा बहती नदी की जलधारा को रोकने का प्रयास नहीं किया जाएगा.

2. पट्टा धारक/नीलामी प्राप्तकर्ता द्वारा विषैला अथवा विस्फोटक पदार्थ का उपयोग नदी में नहीं किया जाएगा और न हीं जलीय जीव जंतु को पकड़ने का प्रयास किया जाएगा.

3. मत्स्य विभाग को परिस्थिति विशेष में जबकि मछली के संपूर्ण विनाश का भय उत्पन्न हो जाता है तो आखेट बंद करने अथवा नियंत्रित करने का पूर्ण अधिकार होगा. यदि पट्टा आवंटन/ नीलामी की अवधि में पट्टाधारक/ नीलामी कर्ता नीलामी की शर्तों का उल्लंघन करता है तो जिलाधिकारी आवंटी/ नीलामी प्राप्तकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी करके आवंटन /नीलामी निरस्त कर सकता है .यदि किसी मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय ,राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण या कोई न्यायालय का आदेश है तो वह प्रभावी रहेगा.









1 thought on “नदियों में मत्स्य आखेट हेतु आवंटन की प्रक्रिया”

  1. Atyant gyanvardhak lekh hai rajashwa sanhita ko samjhane or rajashva vibhag me karya karne atyant upyogi hai. Amit i m proud of you

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