मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना

मुख्यमंत्री कृषक
मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना

सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषक की दुर्घटना से मृत्यु/ दिव्यांग होने की स्थिति में उनके परिवार को आर्थिक सहायता दिए जाने के लिए मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का संचालन किया जा रहा है.

योजना के प्रभावी होने की तिथि: 14 सितंबर 2019 से

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ किसे मिल सकता है?

यदि कृषक की दुर्घटनावश मृत्यु होती है तो उनके विधिक वारिस/ वारिसों को इस योजना का लाभ दिया जाता है. यदि कृषक दुर्घटना के कारण दिव्यांग हो जाते हैं तो स्वयं उन्हें सहायता धन राशि प्रदान की जाती है.

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ किन परिस्थितियों में दिया जाता है?

कृषक की दुर्घटना से मृत्यु अथवा अपंग होने की स्थिति में इस योजना के अंतर्गत सहायता धनराशि दी जाती है. यदि कृषक की मृत्यु /दिव्यांगता आत्महत्या या आपराधिक कार्य स्वयं करते समय होती है तो ऐसी दशा में इस योजना के अंतर्गत कोई सहायता अनुमन्य नहीं होती नहीं है.

किस प्रकार की दुर्घटना में मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत लाभ दिया जा सकता है?

आग लगने,

बाढ़,

बिजली गिरने,

करंट लगने,

सांप के काटने,

जीव- जंतु /जानवर द्वारा, काटने, मारने ,आक्रमण से,

समुद्र, नदी ,झील, तालाब ,पोखर व कुएं में डूबने,

आंधी तूफान,

वृक्ष से गिरने /दबने,

मकान गिरने,

रेल ,रोड, वायुयान व अन्य वाहन आदि से दुर्घटना,

भूस्खलन, भूकंप, गैस रिसाव, विस्फोट ,गैस चेंबर में गिरने,

अन्य किसी कारण से,

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत किसी धनराशि दी जाती है?

योजना के अंतर्गत दुर्घटनावश मृत्यु/ दिव्यांगता की स्थिति में अधिकतम ₹500000 की सहायता राज्य सरकार द्वारा दी जाती है:

क्रमांकदुर्घटना के कारण मृत्यु /दिव्यांगता की स्थिति मेंदेय धनराशि
1मृत्यु/ पूर्ण शारीरिक अक्षमता की स्थिति में500000
2दोनों हाथ अथवा दोनों पैर अथवा दोनों आंख की क्षति500000
3एक हाथ तथा एक पैर की क्षति500000
4एक हाथ या एक पैर या एक आंख की क्षतिढाई लाख
5स्थाई दिव्यांगता 50% से अधिक होने परढाई लाख
6स्थाई दिव्यांगता 25% से अधिक परंतु 50% से कम होने परसवा लाख
शासनादेश के अनुसार

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यदि कोई कृषक मृत्यु/ दिव्यांगता की तिथि को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में बीमित है तथा भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा किसी भी अन्य योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता से अच्छादित है तो उसकी दुर्घटनावश मृत्यु /दिव्यांगता की दशा में समान रूप से उनके विधिक वारिस/ वारिसों /स्वयं कृषक को इस योजना के अंतर्गत प्राप्त सहायता की धनराशि को समायोजित करते हुए अंतर की धनराशि देय होगी .इस अंतर की धनराशि का वहन सरकार द्वारा किया जाता है.

इसी प्रकार प्राकृतिक आपदा में मृत्यु की दशा में ₹400000 की धनराशि प्राप्त होती है तथा 60% से अधिक दिव्यांगता होने पर ₹200000 तथा 40 से 60% की दिव्यांगता होने पर ₹₹59100 प्रति व्यक्ति राज्य आपदा मोचक निधि से प्राप्त होते हैं .राज्य आपदा मोचक निधि से प्राप्त होने वाली धनराशि मृत्यु की दशा में ₹400000 अथवा दिव्यांगता की दशा में प्राप्त हुई धनराशि को घटाते हुए अंतर की धनराशि देय होगी.

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत कृषक किसे माना गया है?

1. खतौनी में दर्ज खातेदार /सहखातेदार ;अथवा

2. खातेदार/सहखातेदार के परिवार के ऐसे कमाऊ सदस्य , जिनकी आजीविका का मुख्य स्रोत खातेदार /सहखातेदार के नाम दर्ज भूमि से होने वाली कृषि आय है; अथवा

3. ऐसे भूमिहीन व्यक्ति जो पट्टे से प्राप्त भूमि पर अथवा बटाई पर कृषि कार्य करते हैं तथा जिन की आजीविका का मुख्य साधन ऐसे पट्टे अथवा बटाई पर ली गई भूमि पर कृषि कार्य है . पट्टेदार के अंतर्गत आसामी पाटीदार, सरकारी पट्टेदार तथा निजी पत्तेदार भी सम्मिलित हैं.

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत पट्टेदार/ बटाईदार का चिन्हांकन किस प्रकार किया जाएगा?

पट्टेदार/ बटाईदार का चिन्हांकन राजस्व संहिता की सुसंगत धाराओं के अनुसार किया जाएगा:

1. रजिस्टर्ड निजी पट्टेदार के चिन्हांकन हेतु रजिस्टर्ड पट्टे की प्रमाणित प्रति लिया जाना अनिवार्य है,

2. बटाईदार के चिन्हांकन हेतु भूस्वामी या उनके वारिस/विधिक वारिस से इस आशय का प्रमाण पत्र लिया जाएगा कि दुर्घटना में मृत्यु अथवा दिव्यांग होने वाले व्यक्ति द्वारा दुर्घटना के 3 वर्ष में उनकी जमीन पर बटाई पर कृषि कार्य किया गया है; अथवा, भूस्वामी उपलब्ध ना होने पर ग्राम प्रधान एवं क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा अपने हस्ताक्षर ,मोहर से दिया गया इस आशय का प्रमाण पत्र की उक्त प्रभावित व्यक्ति दुर्घटना के फसली वर्ष में भूमिधर व्यक्ति की भूमि पर बटाईदार था.

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना अंतर्गत कृषक की आयु का निर्धारण

कृषक की मृत्यु/ दिव्यांगता की स्थिति को उसकी आयु 18 से 70 वर्ष होना चाहिए.

कृषक की मृत्यु/ दिव्यांगता की तिथि से मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत कितनी अवधि में आवेदन प्रस्तुत किया जाना चाहिए?

आवेदन पत्र अधिकतम 3 माह (90 दिन) की अवधि में संबंधित तहसील कार्यालय में जमा करना होगा. अपरिहार्य परिस्थिति में विलंब से आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की दशा में आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की अवधि को 3 माह तक कारण सहित बढ़ाने का अधिकार जिलाधिकारी में निहित होगा .किसी भी दशा में 6 माह (180 दिन) के पश्चात प्रस्तुत आवेदन पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा.

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ लेने हेतु आवेदन किसके समक्ष प्रस्तुत करना होगा?

कृषक की दुर्घटनावश मृत्यु/ दिव्यांगता होने पर निर्धारित प्रारूप पर सभी आवश्यक प्रपत्र पूर्ण करा कर संबंधित तहसील कार्यालय में जमा किया जाता है. आवेदक को प्राप्ति रसीद दी जाती है. संबंधित तहसीलदार अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के माध्यम से आवेदन की जांच कराकर अपनी स्पष्ट आख्या संस्तुति सहित 2 सप्ताह के अंदर पत्रावली उप जिलाधिकारी को प्रेषित करते हैं.

उपजिलाधिकारी अपने विवेकानुसार तहसील से जिन अधिकारियों /कर्मचारियों से जांच कराई गई है उनसे इधर अपने अधीनस्थ किसी भी अधिकारी कर्मचारी से आवेदन पत्र में दर्शाए गए विवरण एवं पात्र/ अपात्र की पहचान हेतु क्रॉस चेकिंग करते है और अपनी आख्या 1 सप्ताह में जिलाधिकारी को प्रेषित करते हैं. जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन प्राप्त होने पर 1 सप्ताह के अंदर आवेदन पत्र का परीक्षण कर जिलाधिकारी द्वारा निस्तारण/ भुगतान किया जाता है. जिलाधिकारी द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम होता है.

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत आवेदन के साथ क्या साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे?

1 खतौनी की प्रमाणित प्रति अथवा रजिस्टर्ड निजी पट्टेदार हेतु पट्टे की प्रमाणित प्रति अथवा बटाईदार हेतु उपरोक्तानुसार एक प्रमाण पत्र,

2. आयु प्रमाण पत्र,

3.निवास प्रमाण पत्र,

4. पोस्टमार्टम रिपोर्ट अथवा जहां पर पोस्टमार्टम संभव नहीं है वहां पर पंचनामा,

5. मृत्यु प्रमाण पत्र,

6. दिव्यांगता की स्थिति में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र,

7. उत्तराधिकार प्रमाण पत्र,

खतौनी में कृषक का निर्विवाद वरासत का अंकन ही वारिस प्रमाण पत्र के रूप में मान्य होगा. मृतक कृषक के परिवार के सभी सदस्यों का सम्मिलित सहमति का शपथ पत्र जो उपअधिकारी द्वारा प्रति हस्ताक्षरित हो मान्य होता है. केवल ऐसे मामले जो कि विवादित हो उनमें सक्षम न्यायालय से प्राप्त उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मान्य होगा,

8. बैंक पासबुक की छायाप्रति,

9. मोबाइल नंबर,

10. आधार नंबर.









Table of Contents

1 thought on “मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM-RKVY) और कृषोन्नति योजना (KY) को दी मंजूरी उत्तर प्रदेश में वानिकी नव वर्ष का शुभारम्भ मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना से उत्तर प्रदेश के युवाओं को मिलेगा 10 लाख तक ब्याजमुक्त ऋण Paryatan Mitra and Paryatan Didi