उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के अंतर्गत किसे राज्य सरकार की संपत्ति मानी गई है?
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 54 “समस्त भूमि आदि में राज्य के हक “को परिभाषित करती है .इस धारा के अनुसार समस्त सार्वजनिक मार्गों, गलियों , पथों,सेतुओ, उन पर या उनके बगल में तटबंधों और बाड़ों ,नदी तल ,झरना, नालों, झीलों, तालाबों और पोखरों और समस्त नहरों और जलमार्गों और समस्त स्थिर प्रवाहमान जल और समस्त भूमि
जो जहां कहीं भी स्थित हो
और
जो किसी व्यक्ति के स्वामित्व में ना हो, को एतदद्वारा (उनमें या उन पर उनसे संबंधित समस्त अधिकारों सहित) राज्य सरकार की संपत्ति मानी जाएगी .यह उदघोषणा दिनांक 11 फरवरी 2016 से प्रभावी मानी जाएगी.
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 54 के प्रावधान किन स्थितियों में लागू नहीं माने माने जाएंगे?
1.वैसे समस्त भूमि जो उदघोषणा प्रभावी होने के दिनांक को किसी व्यक्ति के स्वामित्व में हो.
2.कोई व्यक्ति उपरोक्त संपत्तियों के संबंध में अपना अधिकार साबित कर देता है तो ऐसी संपत्ति उद्घोषणा से प्रभावित नहीं होंगे.
3.उद्घोषणा प्रभावी होने की तिथि को यदि किसी कानून द्वारा अन्यथा प्रावधान किया जाता है तो प्रश्नगत प्रकरण के संबंध में उद्घोषणा प्रभावी नहीं माना जाएगा.
4.उद्घोषणा के प्रभावी होने के ठीक पहले किसी व्यक्ति के कोई अधिकार किसी संपत्ति के बाबत विद्यमान थे तो ऐसे अधिकार भी इस धारा से अप्रभावित रहेंगे.
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 54 के अंतर्गत राज्य सरकार की संपत्ति के संबंध में विवाद उत्पन्न होने की दशा में विवाद का निस्तारण किस स्तर से किया जाएगा?
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 54 के अंतर्गत किसी संपत्ति या अधिकार के संबंध में विवाद उत्पन्न होने की दशा में संहिता की धारा 58 के अंतर्गत कलेक्टर को प्राधिकृत किया गया है. कलेक्टर के आदेश से व्यथित व्यक्ति ऐसे आदेश के दिनांक से 30 दिन के भीतर आयुक्त के समक्ष अपील दाखिल कर सकता है.