Auto Amazon Links: Could not resolve the given unit type, . Please be sure to update the auto-insert definition if you have deleted the unit.
Auto Amazon Links: Could not resolve the given unit type, . Please be sure to update the auto-insert definition if you have deleted the unit.
हड़ताल, बंद, दंगों, लोक अशांति तथा प्रदर्शनों के दौरान लोक या निजी संपत्ति की क्षति की वसूली का उपबंध करने के लिए लागू कानून
हड़ताल आदि के दौरान लोक व निजी संपत्ति की क्षति की वसूली का उपबंध करने के लिए उत्तर प्रदेश विधायिका द्वारा उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम 2020 तथा उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली नियमावली 2020 पारित किया गया.
अधिनियम की धारा (2)(च) के अनुसार निजी संपत्ति का तात्पर्य किसी धार्मिक निकाय, सोसाइटी या न्यास या वक्फ के स्वामित्वाधीन और नियंत्रणाधीन किसी चल या अचल संपत्ति से है जो इस अधिनियम के धारा 2(छ )के अधीन लोक संपत्ति न हो.
अधिनियम की धारा 2(छ) के अनुसार लोक संपत्ति का तात्पर्य किसी चल या अचल संपत्ति से है और जिसमें ऐसी कोई मशीनरी सम्मिलित है जो निम्नलिखित के स्वामित्वाधीन या उसके कब्जाधीन या नियंत्रणधीन हो-
1.केंद्र सरकार ;या
2.राज्य सरकार; या
3.कोई स्थानीय प्राधिकरण; या
4.कोई निगम या किसी राज्य अधिनियम द्वारा या कंपनी अधिनियम 2013 में यथा परिभाषित कोई कंपनी ;या
5.कोई संस्था, समुत्थान या उपक्रम ,जिसे राज्य सरकार इस निमित्त गजट में अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करें:
संपत्ति के नुकसान के लिए दावा (धारा 3, 4, 5, 6, 11)
लोक संपत्ति के लिए बंद ,हड़ताल ,दंगा, लोक उपद्रव और और प्रतिवादों आदि के दौरान अथवा उसके परिणाम स्वरूप नष्ट हुई संपत्ति पर नियंत्रण रखने वाले कार्याध्यक्ष अथवा मुख्य कार्यपालक या विभागाध्यक्ष या मुख्य कार्यपालक द्वारा प्राधिकृत कोई व्यक्ति, दावा याचिका दाखिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे. निजी संपत्ति के लिए निजी संपत्ति का स्वामी प्राधिकृत प्रतिनिधि या न्यासी जिसके पास अनन्य और आत्यंतिक विधिक अधिकार हो और क्षतिग्रस्त संपत्ति का स्वयं उत्तरदायी ना हो, प्रति कर के भुगतान के लिए दवा दाखिल कर सकते हैं.
घटना के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट तथा इस दौरान एकत्र की गई अन्य सूचना के आधार पर पुलिस क्षेत्राधिकारी द्वारा रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसके आधार पर जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त या कार्यालय प्रमुख द्वारा लोक संपत्ति के क्षति किए जाने के संबंध में 3 माह के अंदर प्रतिकार हेतु दावा अधिकरण (Claim Tribunal)के समक्ष याचिका दाखिल की जाती है.
दावा अधिकरण युक्तियक्त कारण के आधार पर 3 माह से अधिक समय के बाद भी दावा स्वीकार कर सकते है. यथाशक्ति जिला कलेक्टर या आयुक्त मासिक आधार पर प्रतिकार हेतु दाखिल की गई दावा वादों के संचालन का पुंनरीक्षण करेंगे और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रेषित करेंगे .विभागाध्यक्ष प्रतिकार हेतु दाखिल किए गए दावा के संचालन और निस्तारण का अनुसरण करेंगे और कार्यालय अध्यक्ष को समय-समय पर आवश्यक निर्देश देंगे. निजी संपत्ति के स्वामी जिनकी संपत्ति ऐसी घटना में क्षतिग्रस्त होती है संबंधित थानाध्यक्ष या थाना प्रभारी की रिपोर्ट की प्रति प्राप्त करने के पश्चात प्रतिकार हेतु अपना दावा याचिका नियमानुसार दाखिल करेंगे..
प्रतिवादी के रूप में किसे निर्धारित किया जाएगा(धारा 12)
संपत्ति क्षति के किसी दवा याचिका में यथास्थिति कार्याध्यक्ष या निजी संपत्ति का स्वामी ऐसे व्यक्तियों को जो उनके ज्ञान में उक्त कार्यों का संचालन किया हो, ऐसे व्यक्तियों को जो पुलिस की रिपोर्ट में इस प्रकार नामित हो, उन व्यक्तियों के नाम तथा पदनाम जिन्होंने क्षति करने वाले कार्यों का आह्वान किया है, जिसने विरोध प्रदर्शन आयोजित किया हो ,आह्वान क्या हो, या खुद किया हो ;को प्रतिवादी के रूप में सम्मिलित कर सकते हैं.
दावा अधिकरण की प्रक्रिया (धारा 8,9, 13, 14, 15, 16, 17, 18 ,19, 20, 21, 22, 23)
1. प्रतिकार हेतु प्रत्येक आवेदन/ दावा याचिका 3 माह के भीतर दाखिल की जाएगी ,जिसके साथ न्यायालय फीस स्टांप के रूप में ₹25 की फीस संलग्न होगी. प्रतिकार हेतु दिए गए आवेदन से भिन्न समस्त आवेदन के लिए ₹50 शुल्क होंगे. इसके अतिरिक्त ₹100 प्रक्रिया फीस निर्धारित की गई है.
2. दावा अधिकरण यदि उचित समझता है तो जांच हेतु अपनी सहायता के लिए एक दावा आयुक्त
नियुक्त कर सकते हैं. दावा आयुक्त के अतिरिक्त अधिकरण एक आकलनकर्ता भी नियुक्त कर सकते हैं .दावा आयुक्त और आकलनकर्ता क्षतियो को इंगित करने और क्षति करने वालों के मध्य गठजोड़ स्थापित करने हेतु निजी और लोक श्रोतों से विद्यमान वीडियो या अन्य रिकॉर्डिंग एकत्र कर सकते हैं .दावा आयुक्त 3 माह की अवधि के भीतर या बढ़ाई गई अवधि यदि कोई हो के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे .
अधिकरण पक्षकारों की सुनवाई के पश्चात दायित्व का निर्धारण करेंगे .दावा अधिकरण प्रतिभागियों को आवेदन की प्रति के साथ आवेदन पर सुनवाई की तिथि को नोटिस भेजेगा. अधिकरण ऐसे प्रतिवादी के विरुद्ध एक पक्षी कार्रवाई करेगा जो अधिकरण के समक्ष उपस्थित होने में विफल हो जाता है. अधिकरण उनकी संपत्ति को कुर्क कर लेगी साथ ही अधिकारियों को निर्देशित करेगी कि वे प्रतिवादी की संपत्ति क्रय न करने के लिए वृहद पैमाने पर सार्वजनिक रूप से चेतावनी सहित नाम पता और फोटोग्राफ प्रकाशित करें.
3. दावा अधिकरण स्वविवेक से मामले की सुनवाई के दौरान किसी पक्ष कार को स्वयं अथवा विधि व्यवसाय के माध्यम से अपने समक्ष प्रस्तुत होने की अनुज्ञा दे सकते हैं.
4. दावा अधिकरण प्रतिकर की धनराशि घटना के दिनांक को क्षतिग्रस्त सपत्ति के बाजार मूल्य से कम तय नहीं करेंगे. यदि 2 या उससे अधिक व्यक्तियों के विरुद्ध प्रतिकर निर्धारण किया जाता है वहां दावा अधिकरण को प्रत्येक के लिए देय धनराशि निर्धारित करेंगे. जैसे ही वसूली का आदेश पारित किया जाता है प्रतिवादी की संपत्ति कुर्क कर दी जाएगी. अधिकरण द्वारा प्रतिकर का निर्धारण करते समय कार्रवाई में लागत और व्यय से संबंधित ऐसे आदेश कर सकते हैं जैसा कि वह उचित समझें.
5. दावा अधिकरण द्वारा पारित प्रत्येक आदेश अंतिम होगा और ऐसे आदेश के बाद किसी न्यायालय के समक्ष कोई अपील पोषणीय नहीं होगा.
6. दावा अधिकरण दद्वारा तय की गई प्रतिकर की धनराशि भू राजस्व के बकाए के भांति वसूल किया जाएगा.
7. यदि घटना के संबंध में कोई फौजदारी कार्यवाही चल रही थी तो दावा याचिका की कार्रवाई द्वारा रोकी नहीं की जाएगी.
सिविल न्यायालय और दावा अधिकरण
जहां किसी क्षेत्र के लिए कोई दावा अधिकरण गठित किया गया हो वहां किसी सिविल न्यायालय के पास ऐसी कोई अधिकारिता नहीं होगी कि वह प्रतिकर के किसी दावे से संबंधित किसी प्रश्न को सुनवाई हेतु स्वीकार करें, जो की उस क्षेत्र के दावा अधिकरण द्वारा सुना जाना हो और प्रतिकर हेतु दावा के संबंध में दावा अधिकरण के समक्ष या उसके द्वारा कृत किए जाने हेतु किसी कार्रवाई के संबंध में कोई व्यादेश सिविल न्यायालय द्वारा नहीं जारी किया जाएगा .दावा अधिकरण दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 195 और अध्याय 26 के समस्त प्रयोजनों के लिए सिविल न्यायालय के रूप में समझा जाएगा.
हड़ताल ,प्रदर्शन आदि के आयोजक का कर्तव्य (नियम 4)
>प्रदर्शन आयोजित करने के लिए आयोजक को यथास्थिति संबंधित पुलिस थाना के थानाध्यक्ष अथवा तथा परगना मजिस्ट्रेट अथवा पुलिस के जिला प्रमुख तथा जिला मजिस्ट्रेट के साथ शांतिपूर्ण जुलूस और प्रतिरोध के लिए प्रयोग किये जाने वाले मार्ग की समीक्षा तथा शर्तें निर्धारित करने के लिए बैठक करना होगा.
> ऐसे प्रदर्शन के दौरान चाकू, लाठी आदि सहित समस्त आयुध प्रतिबंधित होंगे. जुलूस या प्रतिरोध आदि सहित शांतिपूर्ण कार्यक्रम सुनिश्चित करने हेतु आयोजकों द्वारा स्थानीय पुलिस तथा प्रशासन को एक शपथ पत्र भी दिया जाएगा की किसी भी प्रकार का शस्त्र का प्रयोग नहीं किया जाएगा और लोक तथा निजी संपत्ति का कोई नुकसान नहीं किया जाएगा. स्थानीय पुलिस तथा प्रशासन कोई ऐसी आवश्यक शर्तों को तय कर सकते हैं जो इस अधिनियम तथा नियावाली के अनुसार आयोजक के लिए जारी परमिशन में ऐसे वचन पत्र में शामिल करने हेतु उचित समझें.
प्रदर्शनों आदि की फोटोग्राफ /वीडियोग्राफी एवं उसका अधिप्रमाणन (नियम 67)
>प्रत्येक कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस प्रभारी अधिकारी को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अध्याय 10 के उपबंधों के अनुसार लोक व्यवस्था और शांति बनाए रखना होगा .संबंधित पुलिस अधिकारी को ऐसे हड़ताल बंध एवं प्रतिवाद आदि की अधिकतम संभव सीमा तक वीडियोग्राफी सुनिश्चित करनी होगी .प्रदर्शनों के हिंसात्मक हो जाने की स्थिति में यथास्थिति प्रभारी अधिकारी या किसी अन्य पुलिस अधिकारी जो घटनास्थल पर विद्यमान हो को यह सुनिश्चित करना होगा कि घटनाओं की वीडियोग्राफी निजी ऑपरेटरों के माध्यम से की गई है .
>प्रत्येक पुलिस थाना को स्थानीय वीडियो ऑपरेटरों का एक पैनल अनुरक्षण करना होगा जो अल्प सूचना पर उपलब्ध कराया जा सके. यदि पुलिस थाना के प्रभारी अधिकारी या अन्य विधि प्रवर्तनकर्ता अभिकरण की यह राय हो कि किसी प्रदर्शन आदि से लोक व निजी संपत्ति का नष्ट किया जाना या उसकी क्षति किया जाना संभव हो तो वह हिंसात्मक कार्य अथवा किसी संपत्ति को नष्ट करने या क्षति पहुंचाने वाले अन्य कार्यों की वीडियो ग्राफी करने हेतु वीडियो ऑपरेटरों की सेवाएं स्वयं प्राप्त करेगा.
वीडियो का अधिप्रमाणन (नियम 8)
जैसे ही प्रदर्शन आदि समाप्त हो जाए वैसे ही संबंधित पुलिस अधिकारी को, वीडियो ग्राफर को परगना या कार्यपालक मजिस्ट्रेट अथवा पुलिस आयुक्त जो उसके द्वारा किए गए कार्य उसके द्वारा किए गए वीडियोग्राफी के संबंध में विवरण अभिलिखित करेगा ,के समक्ष प्रस्तुत करके वीडियो को अधिप्रमाणित करना होगा. मौलिक टेप या सीडी या अभिलिखित किए गए साक्ष्य को प्रदर्शित करने योग्य अन्य सामग्री उप मजिस्ट्रेट मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे.
मजिस्ट्रेट इस बात के लिए स्वतंत्र होगा की ऐसी सीडी अथवा सामग्री को पुलिस अधिकारी या किसी अन्य अधिकारी की अभिरक्षा में सौंप दें. यथास्थिति कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त को उस वीडियो को लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अभिकरण के समक्ष मामले में दाखिल की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट के साथ प्रेषित करना होगा . भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के अधीन वीडियोग्राफी क्लिपो को इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख तथा इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के रूप में माना जाएगा.
दावा अधिकरण का गठन( नियम 9)
दावा अधिकरण में 2 सदस्य होंगे .जिनमें से एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश होगा जो अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होगा और मंडल का एक अपर मंडलायुक्त उसका सदस्य होगा. नियुक्ति की प्रक्रिया पद खाली होने से कम से कम 6 माह पूर्व प्रारंभ की जाएगी. यदि कोई पद अध्यक्ष या किसी सदस्य के त्यागपत्र या उसकी मृत्यु या नए पद के सृजन के कारण हो जाता है तो पद को भरने की प्रक्रिया यथास्थिति पद रिक्त हो जाने या सृजित हो जाने के तत्काल पश्चात प्रारंभ की जाएगी.
पात्र अभ्यर्थियों से पदों हेतु आवेदन आमंत्रित करते हुए किसी रिक्त पद के विज्ञापन दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाएगा और ऐसी रीति से परिचालित भी किया जाएगा जैसा कि सरकार उचित समझें. आवेदन प्राप्त किए जाने हेतु विनिर्दिष्ट अंतिम दिनांक तक प्राप्त आवेदनों की समीक्षा करने के पश्चात पात्र अभ्यर्थियों की उनकी आवेदन पत्रों सहित सूची इस नियमावली के नियम 9 के उप नियम 13 के अधीन विहित चयन समिति के समक्ष रखी जाएगी.
चयन समिति निम्नलिखित रीति से आवेदन पत्रों की छटाई करेंगे
एक ,न्यायिक पृष्ठभूमि वाले अभ्यर्थियों के मामले में गत 10 वर्षों की उनकी उपलब्ध वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों और आवेदित पद हेतु उनके सुसंगत अनुभवों के आधार पर ;
दो ,राज्य सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी उपक्रम के अधीन कार्यरत होने का अनुभव धारण करने वाले अभ्यर्थियों के मामले में गत 10 वर्षों की उनकी उपलब्ध वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट और आवेदित पद हेतु उनके सुसंगत अनुभव के आधार पर.
चयन समिति योग्यताक्रम क्रम में अभ्यर्थियों के मध्य से दावा अधिकरण के अध्यक्ष पद के रूप में नियुक्ति हेतु अभ्यर्थियों के नामों के एक पैनल की संस्तुति सरकार के विचारार्थ करेगी. दावा अधिकरण के अध्यक्ष का चयन चयन समिति द्वारा यथा संस्तुत पात्रता तथा योग्यता के मानकों पर सरकार द्वारा किया जाएगा. अध्यक्ष के चयन के लिए ‘खोजबीन सह चयन समिति ‘में निम्नलिखित होंगे
1 मुख्य सचिव अध्यक्ष
2अपर मुख्य सचिव /प्रमुख सचिव( गृह) सदस्य
3प्रमुख सचिव (न्याय) सदस्य
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1..पक्षकारों की मृत्यु की दशा में प्रतिकर का दावा समाप्त नहीं होगा और यह मृतक के विधिक प्रतिनिधि ,प्रशासक ,निष्पादन अभिकर्ता की ओर से अथवा उसके विरुद्ध प्रश्नगत धनराशि से संबद्ध संपत्ति के संबंध में प्रचलित रहेगा.
2..दावा अधिकरण के किसी भी निश्चय से क्षुब्ध कोई व्यक्ति विहित समय अवधि के अंतर्गत उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दाखिल कर सकता है.
3..लोक संपत्ति तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली के संबंध में अधिकरण उसी प्रक्रिया का अनुसरण करेगा जो अधिनियम तथा इस नियमावली द्वारा घोषित किए गए हो ऐसे विषयों जिस के संबंध में अधिनियम या नियमावली मौन हो का अवधारण सिविल प्रक्रिया संहिता 1960 के उपबंधों के अनुसार किया जाएगा.
Auto Amazon Links: Could not resolve the given unit type, . Please be sure to update the auto-insert definition if you have deleted the unit.
Auto Amazon Links: Could not resolve the given unit type, . Please be sure to update the auto-insert definition if you have deleted the unit.